________________
41. एक बार मरण
एगे मरणे अंतिम सारीरियाणं ।
-
-
स्थानांग - 1196 (26)
मुक्त होनेवाली आत्माओं की वर्तमान देह का अंतिम मरण एकबार
होता है । दूसरी बार नहीं ।
42. द्विविध मरण
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 108]
→
सन्ति मे य दुवे ठाणा, अक्खाया मारणन्तिया । अकाममरणं चेव, सकाम मरणं तहा ॥
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 117]
-
उत्तराध्ययन 51
तत्त्वज्ञ पुरुषों ने मरण दो प्रकार के बताए हैं - एक अकाममरण
और दूसरा काममरण ।
43.
पण्डित - मृत्यु
पंडियाणं सकामं तु उक्कोसेण सइं भवे । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 117]
-
उत्तराध्ययन
51
पंडितजनों की (सकाममरण) मृत्यु उत्कृष्टत: एक बार ही होती
है
44. अज्ञानी - मृत्यु
-
बालाणं अकामं तु मरणं असई भवे ।
-
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 117]
उत्तराध्ययन
5/3
मूर्खो की मृत्यु बार-बार होती है ।
45. भौतिक दृष्टि
-
न मे दिट्ठे परे लोए, चक्खूदिट्ठा इमा रई ।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-667