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श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 1180 ] सूत्रकृतांग 1/24/21
ज्ञानी साधक न किसी को तुच्छ - हल्का बताए और न स्व-पर झूठी प्रशंसा करे ।
551. कठोर सत्य मत बोलो !
ओए तहीयं फरुसं वियाणे ।
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सत्य वचन भी यदि कठोर हो, तो मत बोलो ।
552. समयोचित भाषा
वियागरेज्जा समयासुपन्ने ।
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श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 1180 ] सूत्रकृतांग 1/14/21
सुप्रज्ञ समयानुसार बोले । 553. अकषायी भिक्षु अकसाइ भिक्खू ।
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श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 1180] सूत्रकृतांग 1/14/21 श्रमण कषाय-भाव से रहित बनें ।
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श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 1180] सूत्रकृतांग 1/14/22
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554. पीड़ोत्पादक भाषा त्याज्य ण कत्थइ भास विहिंसइज्जा ।
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 1180] सूत्रकृतांग 1/14/23
ऐसी भाषा मत बोलो जिससे किसी को पीड़ा पहुँचे ।
555. शुद्ध वचन
आणांइसुद्धं वयणं भिज्जे ।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6 194