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________________ 528 संपत्ति - विपत्तिभागी विवत्ती अविणीअस्स, संपत्ती विणिअस्स य । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 1173] दशवैकालिक 9/2/22 अविनीत विपत्ति का भागी होता है और विनीत संपत्ति का । 529. साधु - असाधु किससे ? गुणेहि साहू अगुणे हि ऽ साहू । - सदगुणों से साधु कहलाता है और दुर्गुणों से असाधु 1 530. आत्मज्ञानी विआणिआ अप्पगमप्पएणं, जो रागदोसेहि समोस पुज्जो ॥ श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 1174] दशवैकालिक 9/3/11 जो अपने को अपने द्वारा जानकर राग-द्वेष के प्रसंगों में सम रहता - - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1174] दशवैकालिक 9311 है, वही साधक पूज्य 531. निष्कषायी पूज्य है । - चक्कसायावगए स पुज्जो । 532. वही पूज्य जो चार कषाय से रहित हैं, वही पूज्य है । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 1174] दशवैकालिक 9/3/14 ― थंभं च कोहं च चए, स पुज्जो । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 1174] अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6 • 189
SR No.002321
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages312
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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