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________________ 452. विद्याः वशीकरणमंत्र विद्यया राजपूज्य:स्या-द्विद्यया कामिनी प्रियः । विद्या हि सर्वलोकस्य, वशीकरणकार्मणम् ॥ - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1148] - स्थानांग सटीक 5 ठाणा 3 उ. विद्वान् विद्या से ही राजाओं द्वारा पूजित होता है। विद्या से कामिनी | अङ्गनाओं को भी वश में कर लेता है । अत: विद्या ही संसार में सर्वश्रेष्ठ वशीकरण मन्त्र तथा सम्मोहन मंत्र है । 453. वाणी-विनय हियमिय अफरूसवाई, अणुवीई भासिवाइओ विणओ। - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1154] - दशवैकालिक नियुक्ति 322 - हित, मित, मृदु और विचारपूर्वक बोलना, वाणी का विनय है । 454. विनीत कौन ? आणा निद्देस करे, गुरुणमुववायकारए । इंगियागारसंपन्ने, से विणीए त्ति वुच्चई ॥ . - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1158] - उत्तराध्ययन 12 जो गुरुजनों की आज्ञाओं का यथोचित पालन करता है, उनके निकट संपर्क में रहता है एवं उनके हर संकेत व चेष्टा के प्रति सजग रहता है-उसे 'विनीत' कहा जाता है। 455. कैसा शिष्य बहिष्कृत ? जहा सुणी पूइकण्णी णिक्कसिज्जइ सव्वसो । एवं दुस्सील पडिणीए, मुहरी निक्कसिज्जइ ॥ - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1158] - उत्तराध्ययन 1/4 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6. 169
SR No.002321
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages312
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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