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________________ 440. गुप्त रहस्य कब प्रकट करें ? खेत्त कालं पुरिसं, नउण पगासए गुत्तं । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1093] - नि. भाष्य 6227 - बृह. भाष्य 790 देश, काल और व्यक्ति को समझकर ही गुप्त रहस्य प्रकट करना चाहिए। 441. ज्ञान-गरिमा नाणम्मि असंतम्मि, चरित्तं पि न विज्जए । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1094] . - व्यवहार भाष्य 7/217 ज्ञान नहीं है तो चारित्र भी नहीं है । 442. दीक्षा निरर्थक जइ नऽत्थि नाण चरणं, दिक्खा हु निरत्थिया तासि । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1094] - व्यवहारभाष्य 7/215 यदि ज्ञान और तदनुसार आचरण नहीं है तो उसकी दीक्षा निरर्थक 443. ज्ञान से चारित्र नाणेण नज्जए चरणं । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1094] - व्यवहार चूलिका भाष्य 7/316 ज्ञान से ही चारित्र (कर्तव्य) का बोध होता है । 444. ज्ञान, प्रकाशक सव्वजगुज्जोयकरं नाणं । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1094] अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6. 166
SR No.002321
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages312
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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