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________________ 271. संयम, पापरोधक संजय गुति करो । - - संयम पापों का निरोध करता है । 272. त्रिवेणी सङ्गम तिहंपि समाओगे मोक्खो जिणसासणे भणिओ । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 444] आवश्यक नियुक्ति 103 ज्ञान-तप एवं संयम इन तीनों के समवाय से ही मोक्ष होता है । - यही जिनशासन का कथन है । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 444] आवश्यकनियुक्ति 103 273. ज्ञान, प्रकाशक नाणं पयासयं । - ज्ञान प्रकाश करनेवाला है । - 274. तप - विशुद्धि सोहओ तवो । प्राप्ति नहीं होती । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 444] आवश्यकनियुक्ति 103 - तप विशुद्धि करता है । 275. केवलज्ञान कब ? केवलियनाण लंभोऽनण्णत्थ खए कसायाणां । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 445] आवश्यकनियुक्ति 104 क्रोधादि कषायों को क्षय किए बिना केवलज्ञान (पूर्ण ज्ञान ) की - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 444] आवश्यक नियुक्ति 103 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6 • 123
SR No.002321
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages312
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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