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शास्त्र का थोड़ा सा अध्ययन भी सच्चरित्र साधक के लिए प्रकाश देनेवाला होता है । जिसकी आँखें खुली हैं उसे एक दीपक भी काफी प्रकाश दे देता है। 268.. क्रियाहीन ज्ञान हय नाणं किया हीणं ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 443]
- आवश्यकनियुक्ति - 201 आचारहीन ज्ञान नष्ट हो जाता है । 269. ज्ञान, भारभूत जहा खरो चंदणभारवाही,
भारस्स भागी न उ चंदणस्स । एवं खु नाणी चरणेण हीणो,
नाणस्स भागी न उ सुग्गईए ॥ - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 443]
- आवश्यकनियुक्ति - 100 जैसे चंदन का भार उठानेवाला गधा सिर्फ भार ढोनेवाला है, उसे चंदन की सुगंध का कोई पता नहीं चलता, इसीप्रकार चरित्रहीन ज्ञानी सिर्फ ज्ञान का भार ढोता है, उसे सद्गति प्राप्त नहीं होती। 270. ज्ञान-क्रिया, अन्ध-पंगुवत्
हयनाणं कियाहीणं, हया अन्नाणओ किया । पासंतो पंगुलो दड्ढो, धावमाणो य अंधओ ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 443]
- आवश्यकनियुक्ति - 201 आचारहीन ज्ञान नष्ट हो जाता है और ज्ञान-हीन आचार । जैसे वन में अग्नि लगने पर पंगु उसे देखता हुआ और अंधा दौड़ता हुआ भी आग से बच नहीं पाता, जलकर नष्ट हो जाता है ।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6. 122