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________________ 236. लोभी-लालची लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष (भाग 6 पृ. 331) - प्रश्नव्याकरण 24/25 मानव लोभी और लालची होकर झूठ बोलता है । 237. लोभी लोभपत्ते लोभी समावइज्जा मोसं वयणाए । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष (भाग 6 पृ. 331) - आचारांग 38 लोभ का प्रसंग आनेपर लोभी मनुष्य असत्य का आश्रय ले लेता 238. सच्चा निर्ग्रन्थ लोभं परिजाणइ से णिग्गंथे । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष (भाग 6 पृ. 331) - आचारांग- 2/31 . जो लोभ को अच्छीतरह परखना जानता है, वही सच्चा निर्ग्रन्थ साधक है। 239. अपमान का कारण क्या ? पर परिभव कारणं च हसं । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष (भाग 6 पृ. 331) - प्रश्नव्याकरण 27/25 परिहास, दूसरों के अपमान-तिरस्कार का कारण होता है । 240. .लोभी झूठों का सरदार कारणसएसु लुद्धो भणेज्ज अलियं । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष (भाग 6 पृ. 331) ___ - प्रश्नव्याकरण 2125 लोभी-लालची मनुष्य सैकडों प्रयोजनों से झूठ बोलता है । अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6. 115 -
SR No.002321
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages312
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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