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प्रश्नव्याकरण- 2/7//24
के मध्य दिग्भ्रान्त सैनिकों के जहाज सत्य के प्रभाव
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महासमुद्र से स्थिर रहते हैं, वे डूबते नहीं हैं ।
216. सत्य वचन, सत्यं शिवं सुन्दरम्
सच्चवयणं सुद्धं सुचियं सिवं सुजायं सुभासियं सुव्वयं सुकहियं ।
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 327]
प्रश्नव्याकरण 2/7/24
यह सत्य वचन शुद्ध है, पवित्र है, शिव है, सुजात है, सुभाषित
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है, उत्तम व्रतरूप है और कथित है ।
217. सत्य कैसा है ?
सच्चं लोगम्मि सारभूयं, गंभीरतरं महासमुद्दाओ, थिस्तरं मेरु पव्वयाओ, सोमतरं चंदमण्डलाओ,
दित्ततरं सूरमंडलाओ, विमलतरं सरयनहतलाओ, सुरहितरं गंधमायणाओ ।
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श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 327]
प्रश्नव्याकरण 2/7//24
सत्य ही लोक में सारभूत तत्त्व है, यह महासमुद्र से भी अधिक गंभीर है, मेरुपर्वत से अधिक सुदृढ है, चन्द्रमण्डल से अधिक सौम्य है, सूर्यमण्डल से अधिक प्रदीप्त है, शरदकालीन आकाशतल से अधिक निर्मल है और गन्धमादन पर्वत से भी अधिक सुरभित है ।
218. सत्यव्रत - महिमा
सच्चवयण तव णियम परिग्गहियं सुगइपहदेसगं य लोगुत्तमं वयमिणं ।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड - 6 • 110