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________________ 212. सत्य-प्रभाव सच्चेण य उदगसंभमम्मि वि ण बुज्झइ ण य मरंति थाहं ते लहंति । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 327] - - प्रश्नव्याकरण - 20/24 सत्य के प्रभाव से जल का उपद्रव होने पर भी मनुष्य न तो बहते हैं और न मरते ही हैं, अपितु पानी का थाह पा लेते हैं । 213. सत्यनिष्ठ सच्चेण य अगणि संभमम्मि वि ण डझंति उज्जुगा मणुस्सा । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 327] - प्रश्नव्याकरण 24/24 यह सत्य का ही प्रभाव है कि जलती हुई अग्नि के भयंकर घेरे में पड़े हुए सरल सत्यवादी मनुष्य जलते नहीं हैं। 214. सत्य पर प्रतिष्ठित जेविय लोगम्मि अपरिसेसा मंत जोगा जया च विज्जा य। जंभगा य अत्थाणि य सत्थाणि य सिक्खाओ य ॥ आगमा य सव्वाइं पि ताई सच्चे पइट्टियाइं। - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 327] - प्रश्नव्याकरण - 20/24 इस लोक में जितने भी मंत्र, योग, जप विद्याएँ, जुंभक, अस्त्रशस्त्र, शिक्षाएँ और आगम हैं; वे सभी सत्य पर अवस्थित हैं अर्थात् इन सबका मूलाधार सत्य है । 215. सत्य, लंगर सच्चेण महा समुद्दमज्झे वि चिटुंति न निमज्जेति मूढाणिया वि पोया । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 327] अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6 • 109
SR No.002321
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages312
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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