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28888888
क्रमाङ्क
सूक्ति
सक्ति शीर्षक
GAN
130
172
दुर्लभ बोधि-लाभ दुर्वचन त्याज्य
131
405
ON
132
386
दूषित भाषा-त्याग
N
133
120
दृष्टि दमन
134
150
देह-कृश देव भी अतृप्त
135
4
136
169 203
दोष न्यूनाधिकता दोष-विकल्प
137
56
138 139 140
98
दुःख-मूल दुःखदायी कर्म दुःखों का घर दुःखद क्या ? दुःख का बँटवारा नहीं !
141
300
142
192
143
235
द्विविध-बंधन
1
144 145
119
146 147
165 208
148
210
धर्मशास्त्र का सार धर्माचरण धर्म प्राणों से भी बढकर ! धर्मी-लक्षण धर्म और वेष धर्म-वाटिका धर्मध्यानरत भिक्षु धर्मतरुमूलः विनय धर्मोत्पन्न-भोग भी अनर्थ धर्म में स्थिर
149
150
294 440 452
151 152 153
455
438
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5. 210