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3833388888888888888888888883
388888
क्रमाङ्क
सूक्ति नम्बर
सूक्ति शीर्षक
87
378
काँटे से काँटा
308
क्यों पीछे पछताय ?
गजस्नान
30
37 328 421
गुण-दोष गुरु-वृद्ध-सेवा गुरुकुल वास गुणहीन भिक्षु
75
77
गंध-वीतराग गंधासक्ति गंध-दमन
121
313
घोरपाप-वर्जन
क
342
चतुर्धा-बुद्धि
152
181
चार्वाक दर्शन-मान्यता चारित्र-शुद्धि से मोक्षप्राप्ति चार प्रकार के श्रमण
214
64
चोरी
358
चंचल मन
42
104 105 106
191
जन्म-मरण मूल जन्म-मृत्यु जड़ पृथक्, आत्मा पृथक्
193
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 • 208