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क्रमा
सक्ति नम्बर
343 345 382 388
सूक्ति शीर्षक कथनी करनी में एकरूपता कषाय कृशता कर्म-मुक्ति कपट-त्याग कषाय त्याज्य
424
145
54
57
88
142
155 288
कामेच्छु क्या न करें? कामशास्त्र का सार काम-भावना काम, किंपाक काम-विजय काम, खुजली कामासक्त मूच्छित कायर पलायनवादी कामवर्धक आहार काम-वर्जन काम, तालपुट काम, दुर्जेय काम, दुस्त्याज्य काम-भोग अनित्य काम, कर्मबन्धकारक कार्य-कुशलता काम-भोगों की असारता
291 292 293 297
317
318
346 364
380
किल्बिषिक भावना
27
कुमार्गगामी इन्द्रियाँ कुपितकारी भाषा-त्याग
433
46
426
कैसा मत बोलो ?
409,
कौन प्रशंसनीय ? अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 • 207