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________________ जो उपशान्त और अपने कर्तव्य के प्रति जागरुक है, वही श्रेष्ठ भिक्षु है। 428. वही अणगार गिहि जोगं परिवज्जए जे, स भिक्खू । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 1566] - दशवकालिक 10/6 जो गृहस्थों से अति-स्नेह सूत्र नहीं जोड़ता, वह भिक्षु है । 429. श्रमण वही अज्झप्परए सुसमाहियप्पा, सुत्तत्थं च वियाणई जे, स भिक्खू । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 1567] - दशवैकालिक 10/15 जो अध्यात्मरत रहता है, जो अपने आपको सुन्दर रीति से समाहित रखता है, जो सूत्र और अर्थ को यथार्थ रूप से जानता है, वही भिक्षु है। 430. भिक्षु कौन ? तवे रए सामणिए जे, स भिक्खू । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 1567] - - दशवैकालिक 1014 जो तप और संयम में लीन रहता है, वह 'भिक्षु' है । 431. सच्चा भिक्षु • अत्ताणं न समुक्कसे जे, स भिक्खू । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 1567] - दशवकालिक 108 ___ जो अपनी आत्मा को सर्वोत्कृष्ट मानकर अहंकार नहीं करता, वही भिक्षु है। अभिधान राजेन्द्र कोप में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 . 169
SR No.002320
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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