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271. ब्रह्मचारी क्या करें ?
तव संजम बंभचेर घातोवघातियाई
अनुचरमाणेणं बंभचेरं वज्जेयव्वाइं सव्वकालं ।
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 1262] प्रश्नव्याकरण 2/9/27
जिन-जिन कार्यों से तपश्चर्या, संयम और ब्रह्मचर्य का आंशिक या पूर्णत: विनाश ह्येता है, ब्रह्मचारी को सदैव के लिए उनका त्याग कर देना चाहिए ।
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272. ब्रह्मचर्य दृढ़ कैसे ?
णियमा तव गुण - विनयमादिएहिं जहा से थिस्तरकं होइ बंभचेरं ।
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प्रश्नव्याकरण 2/9/27
तप, नियम, मूलगुण और विनयादि से अन्त:करण को वासित करना चाहिए, जिससे ब्रह्मचर्य खूब स्थिर - दृढ़ हो ।
273. जिनोपदेश
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 1262]
इमं च अबंभचेर विरमण परिरक्खणट्टयाए पावयणं भगवयासुकहियं ।
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श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 5 पृ. 1262]
प्रश्नव्याकरण 2/9/27
अब्रह्मचर्य निवृत्ति (ब्रह्मचर्य की रक्षा) के लिए भगवान् ने यह
प्रवचन दिया है ।
274. ब्रह्मचारी क्या न करें ?
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तव-संजम बंभचेर घातोवघातियाओ अणुचरमाणेणं बंभचेरं ण कहेयव्वा ण सुणेयव्वा ण चिंतेयव्वा । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 5 पृ. 1263]
प्रश्नव्याकरण 2/9/27
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 • 131