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40. दिनचर्या कैसी हो ?
कहं चरे ? कहं चिट्ठे ? कह मासे ? कहं सए ? कहं भुंजंतो भासंतो, पावकम्मं न बंधई ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग । पृ. 1423]
- दशवैकालिक 430 कैसे चले ? कैसे बैठे ? कैसे खड़े रहे ? कैसे सोए ? कैसे खाए ?और कैसे बोले ? जिससे पापकर्म-बन्ध न हो । 41. यतना, सुखदायिनी एगंत सुहावहा जयणा ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग । पृ. 1423]
- संबोधसत्तरि-67 यतना एकान्त सुखदायिनी होती है। 42. जातिस्मरण ज्ञान
पुव्वभवा सो पिच्छइ, इक्को दो तिन्नि जाव नवगं वा। उवरिम तस्स अविसओ, सहावओ जाइ सरणस्स ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 4 पृ. 1445]
- सेनप्रश्न 341 3 उल्ला . जातिस्मरण ज्ञानवाला व्यक्ति एक, दो, तीन यावत् पिछले नव भव । देख लेता है। इससे आगे जातिस्मरण ज्ञान में देखने की शक्ति स्वभाव से ही नहीं है। 43. सुप्तदशा नेरड्या सुत्ता नो जागरा ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 4 पृ. 1446] .. - भगवती 16/6A आत्म-जागरण की दृष्टि से नारक जीव सोते रहते हैं, जागते
नहीं।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-4 • 66