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________________ श्री अभिधान राजेन्द्र कोच [ भाग 1 पृ. 2147] उत्तराध्ययन 2/23 जीवन में शंकाओं से भयमीत होकर मात चलो । 177. कर्तव्य न य वित्तासह परं । - उत्तराध्ययन 2/22 किसी भी जीव को कष्ट नहीं देना चाहिए । 178. मौनपूर्वक क्या करें ? मूत्रोत्सर्गं मत्वेत्सर्गं, मैथुनं स्नानभोजनम् । सन्ध्यादिकर्म पुजां च कुर्याज्जापं च मौनवान् ॥ , - - जा रहे हैं । श्री अभियान राजेन्द्र कोच [भाग + पृ. 2147 ] मल-मूत्र का बिसर्जन, मौथुन, स्नान, भोजन, सन्ध्यादि कर्म (सायंप्रातः कालीन नित्य धर्मकार्य) पुजा और जप - ये सारे कार्य मौनपूर्वक करना चाहिए । 179. परपीड़क तमातो ते तमं ज्जन्ति, मंदा आरंभ निस्सिया । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग + पृ. 2172] सूत्रकृतांग 1A पर - पीड़ा में लगे हुए अज्ञानी जीव अंधकार से अंधकार की ओर g श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 4 पृ. 2162] धर्म संग्रह 2/126 180. असत्य प्ररूपणा - जे ते उ वाइणो एवं लोए तेसि कुओ सिया ? श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 4 पृ. 2172-] सूत्रकृमांगा - AA - अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस खण्ड-4 102
SR No.002319
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages262
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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