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121. अज्ञात-पिंड अण्णात पिंडेणऽधियासएज्जा ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 3 पृ. 612]
- सूत्रकृतांग 1427 संयमी साधक अज्ञात पिण्ड (अपरिचित घरों से लाए हुए भिक्षान्न) से अपने जीवन का निर्वाह करें। 122. आहार क्यों ? भारस्स जाता मुणि भुञ्जएज्जा।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 3 पृ. 612]
- सूत्रकृतांग 11/29 मुनि संयम भार के निर्वाह करने के लिए ही आहार करें । 123. अनाकूल अभयंकर, भिक्षु अभयंकरे भिक्खू अणाविलप्पा ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 3 पृ. 612] .
- सूत्रकृतांग 1428 विषय-कषायों से अनाकूल भिक्षु अभयदान देता रहे। . 124. मन पर संयम
दुक्खेण पुढे धुयमातिएज्जा। __ - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 3 पृ. 613]
- सूत्रकृतांग 11/29 नीतिवान् कष्टों के आने पर भी मन पर संयम रखें। 125. निष्प्रपञ्ची साधक णिद्भूयकम्मंणपवञ्चुवेति,अक्खक्खएवासगंडतिबेमि ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 3 पृ. 613]
- सूत्रकृतांग 1/30 कर्मक्षय करनेवाला मुनि उसी प्रकार संसार-प्रपञ्च में नहीं पड़ता, जिस प्रकार धुरा टूटने पर गाड़ी आगे नहीं बढ़ती।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-3 • 86