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अच्छे से अच्छा जलयान भी हवा के बिना महासागर को पार नहीं कर सकता। 261. तप, संयम निउणोऽवि जीव पोओ, तव संजम मारूअ विहूणो ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 3 पृ. 1127]
- आवश्यक नियुक्ति 196 शास्त्रज्ञान में कुशल साधक भी तप-संयम रूप पवन के बिना संसार-सागर को तैर नहीं सकता। 262. निवृत्ति-प्रवृत्ति असंजमे नियत्ति च, संजमे य पवत्तणं ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 3 पृ. 1128]
- उत्तराध्ययन 312 असंयम से निवृत्ति और संयम में प्रवृत्ति करनी चाहिए। 263. मोक्ष नहीं ! अगुणिस्स नत्थि मोक्खो।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 3 पृ. !128] .
- उत्तराध्ययन 28/30 अगुणी (दर्शन-ज्ञानादि से रहित) व्यक्ति की मुक्ति नहीं होती। 264. मोक्ष बिन निर्वाण नहीं नत्थि अमुक्कस्स निव्वाणं ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 3 पृ. 1128]
- उत्तराध्ययन 28/30 मोक्ष के बिना निर्वाण नहीं होता। 265. ज्ञान बिन चारित्र नहीं ! नाणेण विणा न होंति चरण गुणा ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 3 पृ. 1128]
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-3 . 120