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________________ - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 205] - आचारांग - IMAM-3 यह मेरी आत्मा औपपातिक है । कर्मानुसार पुनर्जन्म ग्रहण करती है। आत्मा के पुनर्जन्म सम्बन्धी सिद्धान्त को स्वीकार करनेवाला ही वस्तुत: आत्मवादी, लोकवादी, कर्मवादी और क्रियावादी है । 65 वीरभोग्या वीरभोग्या वसुन्धरा । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 207] - आचारांग सटीक 1AM यह वसुन्धरा (धरती) वीरों के द्वारा भोग्य है । 66 नित्यानित्यवाद सुहदुक्ख संपओगो, न विज्जइ निच्चवाय पक्खंमि । एगंतच्छे अंमि अ,सुहदुक्ख विगप्पणमजुत्तं ॥ - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 210] ___ - दशवकालिक नियुक्ति 1/60 . एकान्त नित्यवाद के अनुसार सुख-दु:ख का संयोग संगत नहीं बैठता और एकान्त अनित्यवाद के अनुसार भी सुख-दु:ख की बात उपयुक्त नहीं होती । अत: नित्यानित्यवाद ही इसका सही समाधान कर सकता है । 67 नित्यात्मा णिच्चो अविणासी सासओ जीवो । - - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 210] - दशवकालिक नियुक्ति भाष्य 42 जीव (आत्मा) नित्य है; अविनाशी और शाश्वत है । 68 एकात्मा - एगे आया । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 219] - स्थानांग - Inn एवं समवायांग 13 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-2 • 73
SR No.002317
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages198
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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