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- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 188]
- सिद्धसेन द्वात्रिंशत् - द्वात्रिंशिका-2017 योगवाङ्मय योग-ग्रन्थ में प्रसिद्ध आत्मा के तीन प्रकार हैं - बहिरात्मा, अन्तरात्मा और परमात्मा । 61 चेतना-शक्ति / चित्तं तिकाल विसयं ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 193]
- दशवैकालिक नियुक्ति भाष्य-19 आत्मा की चेतना शक्ति त्रिकाल है । 62 अमूर्त गुण अणिंदिय गुणं जीवं, दुज्जेयं मंस चक्खुणा ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 195]
- दशवकालिक नियुक्ति भाष्य - 34 आत्मा के गुण अमूर्त है, अत: उनको चर्म चक्षुओं से देख पाना कठिन है। 63 आत्म-अपलाप जे लोगं अब्भाइक्खति से अत्ताणं अब्भाइक्खति । जे अत्ताणं अब्भाइक्खति, से लोगं अब्भाइक्खति ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 195]
एवं [भाग-4 पृ. 344]
- आचारांग - 103/22 जो लोक (अन्य जीवसमूह) का अपलाप करता है, वह स्वयं अपनी आत्मा का भी अपलाप करता है । जो अपनी आत्मा का अपलाप करता है वह लोक (अन्य जीवसमूह) का भी अपलाप करता है । 64 औपपातिक-आत्मा अस्थि मे आया उववाइए से आयावादी, लोगावादी, कम्मावादी, किरियावादी।
अभिधान राजेन्द्र में सूक्ति-सुधारस • खण्ड-2 • 72