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माशा बम
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 90]
- प्रवचनसार 3/34 साधु-सन्त के पास आगम (तत्त्वज्ञान) रूपी आँखें होती हैं । 29 गुण: मूल्यांकन अहवा कायमणिस्सउ, सुमहल्लस्स वि उ कागणी मोल्लं । वइरस्स उ अप्पस्स वि, मोल्लं होति सयसहस्सं ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 93]
- व्यवहारभाष्य 10/216 काँच के बड़े मनके का भी केवल एक काकिनी का मूल्य होता है और हीरे की बेटी-सी कणी भी लाखों के मूल्य की होती है । (रूपये का अस्सीवाँ भाग काकिणी होती हैं ।) 30 आज्ञा-धर्म आणाए मामगं धम्मं ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 131]
- आचारांग 1/6/2485 आज्ञा ही मेरा धर्म है। 31 मोक्ष-मार्ग-नाशक
भट्ठायारो सूरी ! भट्ठायाराणुवेक्खओ सूरी । उम्मग्गट्ठिओ सूरी तिणिविमग्गं पणासंति ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 135]
एवं 335/336
- गच्छाचारपयन्ना-28 भ्रष्टाचारी आचार्य, भ्रष्टाचारी साधुओं की उपेक्षा करनेवाला आचार्य और उन्मार्ग स्थित आचार्य - ये तीनों ही ज्ञानादि मोक्ष-मार्ग का नाश करनेवाले हैं। 32 एकान्त-अनेकान्त
एगंतो मिच्छत्तं, जिणाण आणा य होइ णेगंतो।
अभिधान राजेन्द्र में सूक्ति-सुधारस • खण्ड-2 • 64