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________________ सम्बर 980888 20 तं से अहियाए तं से अबोहियाए । 212 तं च भिक्खू परिण्णाय सव्वे संगा महासवा। 2 2 30 1051 195 दव्वुज्जोउ जोओ पगासई परमियम्मि खित्तम्मि। भावुज्जोउ जो ओ लोगालोगं पगासेइ । 2 772 112 दुहाओ छित्ता नेयाइ। 196 दुर्गतिप्रसृतान् जन्तून् यस्माद्धारयत्ते पुनः । धत्ते चैतान् शुभे स्थाने, तस्माद्धर्म इति स्मृतः॥ 2 773 77 देहात्माद्यविवेकोऽयं, सर्वदा सुलभो भवे। भव कोट्यादि तद्भेद, विवेकस्त्वति दुर्लभः ॥ 2 232 28 . 15 धम्मो सुद्धस्स चिट्ठइ। 2 165 धम्मम्मि जो दढमइ, सो सूरो सति ओ य वीरो य।। णहु धम्मणिरुस्साहो, पुरिसो सूरो सुवलिओ य ॥ 2 239 धर्णण कि धम्म धुराधिगारे? 2 246 धम्मं च कुणमाणस्स, सफला जंति राइओ॥ 2 624 1188 1189 धि 2 550 138 धितिमं विमुक्केण य पूयणट्ठी । न सिलोयगामी य परिव्वएज्जा। धी 190 धीरा बंधणुम्मुक्का। 203 धीरस्स परस्स धीरतं, सव्व धम्माणुवत्तिणो। 250 धीरा हु भिक्खायरियं चरंति। 652 884 2 1191 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-2 • 132
SR No.002317
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages198
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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