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________________ wa5555305 13 कुसग्गे जह ओसबिंदुए, थोवं चिट्टइ लंबमाणाए । एवं मणुयाणं जीवियं, समयं गोयम मा पमायए ॥ 2 91 कुल गाम नगर रज्जं, पयहियं जो तेसु कुणइ हु ममत्तं । सो नवरि लिंगधारी, संजम जोएण निस्सारो॥ 2 11 । 334 2 179 1187 1187 54 खणं जाणाहि पंडिए! 238 खणमेत्त सोक्खा बहुकाल दुक्खा । खा 230 खाणी अणत्थाण उ काम-भोगा । गा 47 गात्रं संकुचितं गतिविगलिता, दन्ताश्च नाशं गता। दृष्टि र्भश्यति रूपमेवहसते वक्त्रं च लालायते ॥ वाक्यं नैव करोति बान्धवजन: पत्नी न शुश्रूयते । धिक्कष्टं जरयाऽभिभूतं पुरूषं पुत्रोऽप्यवज्ञायते ॥ गि 145 गिरिमृत्स्नां धनं पश्यन् धावतीन्द्रियः मोहितः । अनादि निधनं ज्ञानं-धनं पार्वे न पश्यति ॥ 172 गिद्धा सत्ता कामेहिं । 256 गिद्धोवमे उ नच्चाणं कामे संसार वद्धणे । उरगो सुवण्ण पासेव्व संकमाणो तणुं चरे॥ 2 177 2 597 2 627 2 1192 2 180 56 · गुरुत्वं स्वस्य नोदेति, शिक्षा सात्म्येन यावता । आत्म-तत्त्व प्रकाशेन, तावत्सेव्यो गुरुत्तमः ॥ 57 गुणैर्यदि न पूर्णोऽसि कृतमात्मप्रशंसया । गुणैरेवासि पूर्णश्चेत् कृतमात्मप्रशंसया ॥ 2 181 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-20 127 )
SR No.002317
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages198
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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