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________________ 135 219 223 232 32 एगंतो मिच्छत्तं, जिणाण आणाय होइ णेगंतो।। 2 68 एगे आया। 2 69 एस आतावादी समियाए परियाए वियाहिते। 2 86 एगो वच्चइ जीवो, एगो चेवुव वज्जई। एगस्स होइ मरणं, एगो सिज्झइ नीरओ॥ 2 87 एगो मे सासओ अप्पा, नाणदंसणसंजुओ। सेसा मे बाहिरा भावा, सव्वे संजोग लक्खणा ॥ 2 180 एवित्थियाहि अणगारा, संवासेणणासमुवयंति ॥ 2 208 एते संगा मणुस्साणं पाताला व अतारिमा । 2 253 एक्को हु धम्मो नरदेव ! ताणं! न विज्जए अन्नमिहेह किंचि॥ अं 99 अंगाणं किं सारो ? आयारो। 2 232 629 1051 1191 372 2 176 . 43 कडं च कज्जमाणं च आगमेस्सं पावगं । सव्वं तं णाणुजाणंति, आयगुत्ता जिइंदिया ॥ 83 कर्म जीवश्च सश्लिष्टं सर्वदा क्षीरनीरवत् । विभिन्नीकुरुते योऽसौ मुनिहंसो विवेकवान् ॥ 127 कषाया विषया योगाः प्रमादाविरती तथा । मिथ्यात्वमार्तौद्रे चेत्यशुभं प्रति हेतवः ।। 201 कम्मसच्चा हु पाणिणो। 2 503 883 गणा। 2 60 26 का अरइ ! के आणंदे एत्थंपि उग्गहे चरे। 257 काम भोगे य दुच्चए। 2 1193 213 कीवा जत्थ य किससंति, नाय संगेहिं मुच्छिया ॥ 2 1051 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-2 • 126
SR No.002317
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages198
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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