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________________ 152 चरेज्ज अत्तगवेसए । 61 218 चेच्चा वित्तं च णायओ । सनि 11 चित्तं तिकाल विसयं । 90 97 ठ चि PEE छ 121 छत्तीसगुणसम्पन्ना गण्णते णावि अवस्स कायव्वा । परसक्खिया विसोही, सुट्ठवि ववहार कुसलेण ॥ 2 जह कुसलो वि वेज्जो, अन्नस्स कहेइ अत्तणो वाही । विज्जस्स य सोयंतो, पडिकम्मं समारभतो ॥ 134 छहिं ठाणेहिं समणे निग्गंथे आहारं वोच्छिदमाणे णाइक्कमइ तंजहा आयंके उवसग्गे तितिक्खया बंभचेरगुत्तीसु । पाणिदया तवहेडं, सरीरवोच्छेयणट्ठाए ॥ 2 2 ज 2 जह तुब्भे तह अम्हे, तुम्हे विय होहिहा जहा अम्हे । अप्पाहेति पडतं पंडुय- पत्तं किसलयाणं ॥ जत्थ आभिणिबोहियणाणं, तत्थ सुयनाणं । जत्थ सुअनाणं, तत्थाऽऽभिणिबोहियंणाणं || जह दीवो दीवसयं पइप्पए दीप्पइ य । सो दीवसमा आयरिआ, अप्पं च परं च दीवंति ॥ 2 117 जह बालो जंपतो कज्जमकज्जं व उज्जयं भणइ | तं तह आलोएज्जा मायामय विप्पमुक्को उ॥ 130 जहा से दीवे असंदीणो एवं से भवति सरणं महामुणी | 2 162 जल मज्झे मच्छपयं, अगासे पक्खियाण पयपंती । 2 2 615 महिलाण हिययमग्गो, तिन्नवि लोए न दीसंति ॥ 2 176 जतुकुंभे जहा उवज्जोती संवासे विदु विसीएज्जा । 2 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-2 • 128 193 1053 450 548 11 279 337 428-431 512 618 629
SR No.002317
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages198
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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