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- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 525]
- सूत्रकृतांग 1/2/3/11 नहीं देखनेवालों ! तुम देखनेवालों की बात पर विश्वास करके चलो। 123. चौर्यकर्म
अदिण्णादाणं हर दह मरण भय कलुसतासण पर संतिकभेज्ज लोभमूलं ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 526]
- प्रश्नव्याकरण 1/3/12 यह अदत्तादान [चोरी] परधन, अपहरण, दहन, मृत्यु, भय, मलीनता [कलुषता] त्रास, रौद्र ध्यान और लोभ का मूल है । 124. अनार्य कर्म
अदत्तादाणं..............अकित्तिकरणं अणज्जं...............सदा साहु गरहणिज्जं ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 526]
- प्रश्नव्याकरण 1/3/9 अदत्तादान [चोरी] अपयश करनेवाला अनार्य कर्म है । यह सभी भले आदमियों द्वारा सदैव निंदनीय है । 125. चोर, निर्दयी
परदव्वहरा णरा णिरनुकंपा । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 528]
प्रश्नव्याकरण 1/3/11 परकीय द्रव्य का अपहरण करने वाले मनुष्य निर्दयी या दयाशून्य होते हैं। 126. चौर्य-कर्म विपाक
अच्चंत विपुल दुक्खसय संपलिता परस्सदव्वेहि जे अविरया। अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-1/89