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- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 571]
- सूत्रकृतांग 1/2/2/19 बुद्धिमान् को कभी किसी से कलह नहीं करना चाहिए। कलह से बहुत बड़ी हानि होती है। 139. कषायी असंयमी
कसाय सहितो न संजओ होइ ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 574]
- बृहत्कल्पभाष्य 2712 कषाय रखनेवाला संयमी नहीं होता। 140. वात्सल्य - महत्ता
अवच्छलत्ते य दंसण हाणी ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 574]
- बृहत्कल्प भाष्य 2711 परस्पर वात्सल्य भाव की कमी होने पर सम्यग्दर्शन की हानि होती
141. वीतरागता
अकसायं खु चरितं ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 574]
- बृहत्कल्प भाष्य 2712 अकषाय [वीतरागता] ही चारित्र है । 142.. कषाय चारित्र हानि
जह कोहाई विवड्ढी, तह हाणी होई चरणे वि ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 574] - निशीथ भाष्य 2790 - बृहत्कल्प भाष्य 2711
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-1/93