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134. विनय
तप
विणओ वि तवो |
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विनय अपने आप में एक तप है ।
135. साधर्मिक विनय
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 1 पृ. 545 ]
प्रश्न व्याकरण 2/8/26
साहम्मिए विणओ पउंजियव्वो ।
136. तप धर्म
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 1 पृ. 545 ]
प्रश्न व्याकरण 2/8/26
साधर्मिकों के प्रति विनय का व्यवहार करें ।
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aal विधम्म ।
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 1 पृ. 545 ]
प्रश्न व्याकरण 2/8/26
तप भी धर्म है।
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137. ईख का फूल
सामन्नमणु चरंत स्स कसाया जस्स उक्कडा होंति । मन्नामि उच्छु पुष्कं च निफ्फलं तस्स सामन्नं ॥
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 1 पृ. 571] एवं [भाग 5 पृ. 382 ] दशवैकालिक नियुक्ति 301
श्रमण धर्म का अनुचरण करते हुए भी जिसके क्रोधादि कषाय उत्कट हैं, तो उसका श्रमणत्व वैसा ही निरर्थक है जैसाकि ईख का फूल |
138. कलह - हानि
अट्ठे परिहायती बहू, अहिगरणं न करेज्ज पंडिए ।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-1/92