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तीर्थरक्षक सेठ शान्तिदास १६ बादशाह ने नक्शा और कागजात देखकर कहा, "जौहरी मामा, मैं तुम्हारी पुरानी खिदमत और ताल्लुकात को जानता हूँ, तुमको मेरे बुजुर्गों ने इज्जत बख्शी थी, मैं भी तुम्हारी इज्जत करता हूँ। आप खुशी से जाइए, मैं अहमदाबाद फरमान भिजवाता हूँ। सब कुछ ठीक होगा।" ___ शांतिदास सेठ जब फिर शाहजादा दाराशिकोह से मिले तो उन्होंने बताया कि बादशाह सलामत ने औरंगजेब का दक्कन में तबादिला कर दिया है। गुजरात के सूबेदार की जगह मुझे तैनात किया है । लेकिन मैं दिल्ली छोड़कर बाहर जा नहीं सकता, इसलिए मेरी ओर से गैरतखान को में भिजवा रहा हूँ, वह मेरे भरोसे का और मेरे हुक्म की तामील करने वाला है । आपको फरमान मिल जायगा।" ___ जो फरमान ३ जुलाई १६४८ को लिखा गया वह निम्नलिखित है
'तोग्रा (सुनहरी स्याही में लिखा फरमान) अब्दुल मुजफ्फर, शाहबुद्दीन मोहम्मद साहब करान सानी शाहजादा बादशाह गाजी।
निशान आलीशान, शाहजादा बुदेल इकबाल, मोहमद दाराशिकोह ।
मुद्रा-मुहम्मद दाराशिकोह इब्ज शाहजहान बादशाह गाजी।
सब सुबे, सूबेदार, अफसरों, मौजूदा और आने वालों को जाहिर किया जाता है कि, अहमदाबाद के नगरसेठ शांतिदास जौहरी के