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________________ तीर्थरक्षक सेठ शान्तिदास ६ शान्तिदास सेठ ने कहा, 'बहन, मेरी एक अर्ज है । आप मानेंगी? 'खुशी से कहो, क्या बात है?' 'आपने मुझे भाई कहा, मेरे भी बहन नहीं है, आज आप मेरी बहन बनी हो, अतः मैं कुछ भेंट देना चाहता हूँ।' - 'आज मैंने भी तुम्हारे लिए राखी मंगाकर रखी है, इसलिए हाथ आगे बढ़ाओ, मैं राखी बांधना चाहती हूँ।' शांतिदास सेठ को जोधाबाई ने राखी बांधकर अपना भाई बनाया। सेठ ने रत्न कंकण लाकर बहन को दिए जो बड़े ही मूल्यवान थे। बेगम गद्गद हुई। शाहजादा सलीम ने पिता के पास जाकर क्षमा मांगी। शाहनशाह ने उसे माफी दी और जोधाबाई को मनाकर लाने के लिए अहमदाबाद भेजा। शाहजादे की उच्छृङ्खलता और मद्यपान बादशाह को पसंद नहीं था। दोनों के बीच उसके मामा मानसिंह ने कुछ सुलह करवाई थी। ___ शाहजादा अहमदाबाद पहुँचा। जोधाबाई ने उसे सारी बातें बताईं । अब सेठ शांतिदास सलीम के मामा थे। 'अच्छा, अम्माजान हमारे दो मामा हो गए। बड़े मानसिंह और छोटे शांतिदास। बड़े मामा ने अब्बाजान का गुस्सा निकालकर मुझे माफी दिलवाई और छोटे मामा ने तुम्हारी आवभगत कर तुम्हें आराम पहुँचाया । मैं मामा की मोहब्बत की कद्र करता हूँ। आज से मैं उन्हें 'जौहरी मामा' कहा करूंगा। सलीम ने बेगम से कहा। बेगम दिल्ली पहुँचीं। सारी बातें जानकर बादशाह खुश हुए। अपने दरबार में बादशाह ने सेठ को प्रथम श्रेणी के अमीर के रूप में नियुक्त किया और देहली से पोशाक (सिरोपाव) भेज सत्कार किया। सूबा अजीमखान को हुक्म भेजा कि सेठ शांतिदास को अहमदाबाद का नगर सेठ बनाया जाय । सेठ शान्तिदास कुशल व्यापारी थे। उन्होंने अपने व्यवसाय से
SR No.002308
Book TitleTirthrakshak Sheth Shantidas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRishabhdas Ranka
PublisherRanka Charitable Trust
Publication Year1978
Total Pages78
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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