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123. एवमभिगम्म जीवं अण्णेहिं वि पज्जएहिं बहुगेहिं।
अभिगच्छदु अज्जीवं णाणंतरिदेहिं लिंगेहि।।
एवमभिगम्म
-/
जीवं अण्णेहिं
अन्य
पज्जएहिं बहुगेहिं
[(एवं)+(अभिगम्म)] एवं (अ) = इस प्रकार इस प्रकार अभिगम्म (अभिगम्म) संकृ अनिजानकर (जीव) 2/1
जीव को (अण्ण) 3/2 वि अव्यय
भी (पज्जय) 3/2
प्रकार से (बहुग) 3/2 वि 'ग' स्वार्थिक (अभिगच्छ) विधि 3/1 सक जानो (अज्जीव) 2/1 अजीव को [(णाण)-(अंतरिद) 3/2 वि] चैतन्य से भिन्न (लिंग) 3/2
चिह्नों से
अनेक
अभिगच्छदु अज्जीवं णाणंतरिदेहिं लिंगेहि
अन्वय- एवं अण्णेहिं वि बहुगेहिं पज्जएहिं जीवं अभिगम्म णाणंतरिदेहिं लिंगेहिं अज्जीवं अभिगच्छदु।
अर्थ- इस प्रकार अन्य भी अनेक प्रकार से जीव (द्रव्य) को जानकर चैतन्य से भिन्न चिह्नों (लक्षणों) से अजीव (द्रव्य) को जानो।
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पंचास्तिकाय (खण्ड-2) नवपदार्थ-अधिकार