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________________ 81. एयरसवण्णगंधं दोफासंसद्दकारणमसहं। खंधंतरिदं दव्वं परमाणुं तं वियाणेहि।। एयरसवण्णगंधं एक रस, वर्ण, गंध दो स्पर्श दोफासं सद्दकारणमसदं . [(एय) वि-(रस)-(वण्ण) (गंध) 1/1] [(दो) वि-(फास) 1/1] [(सद्दकारणं)+(असई)] [(सद्द)-(कारण) 1/1] असदं (असद्द) 1/1 वि [(खंध)-(अंतरिद) भूकृ 1/1 अनि] (दव्व) 2/1 (परमाणु) 2/1 (त) 2/1 सवि (वियाण) विधि 2/1 सक खधंतरिदं शब्द का कारण शब्द-रहित स्कंधों से भेद किया हुआ द्रव्य को परमाणु उस जानो दव्वं परमाणु वियाणेहि अन्वय- तं दव्वं परमाणुं वियाणेहि एयरसवण्णगंधं दोफासं खंधंतरिदं सद्दकारणमसइं। अर्थ- उस द्रव्य को परमाणु जानो (जिस) (द्रव्य में) (पाँच रस में से) एक रस, (पाँच वर्ण में से) (एक) वर्ण, (दो गंध में से) (एक) गंध, (चार' स्पर्श में से) दो (अविरोधी) स्पर्श (होते हैं)। (यह परमाणु) (स्वभाव में) स्कंधों से भेद किया हुआ (है)। (स्कन्ध अवस्था में रूपान्तरित होने पर) शब्द का कारण (बन जाता है)। (स्कंधों से पृथक होने पर) (स्वयं) शब्द-रहित (रहता है)। 1. परमाणु अवस्था में स्पर्श के आठ गुणों में से चार गुणः शीत, उष्ण, रूक्ष, स्निग्ध ही पाये जाते हैं। मृदु, कठोर, हल्का, भारी गुण स्कन्ध अवस्था में होते हैं। नोटः संपादक द्वारा अनूदित पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार (91)
SR No.002306
Book TitlePanchastikay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2014
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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