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73. पयडिट्ठिदिअणुभागप्पदेसबंधेहिं सव्वदो मुक्को।
उडुं गच्छदि सेसा विदिसावज्जं गदि जंति।।
मुक्को
मुक्त
पयडिट्ठिदिअणुभाग- [(पयडि)-(द्विदि)-(अणुभाग) प्रकृति, स्थिति, प्पदेसबंधेहिं (प्पदेसबंध) 3/2] अनुभाग तथा प्रदेश
बंध से सव्वदो अव्यय
सर्वथा/पूर्णरूप से (मुक्क) भूकृ 1/1 अनि (उड्ढ) 2/1
ऊर्ध्व/सिद्ध (गति) को गच्छदि (गच्छ) व 3/1 सक गमन करता है सेसा (सेस) 1/2
शेष विदिसावज्जं (विदिसा)' 2/2 विदिशाओं के
वज्जं (अ) = सिवाय सिवाय/बिना (गदि) 2/1 (जा) व 3/1 सक करते हैं
गति
गति
अन्वय- पयडिट्ठिदिअणुभागप्पदेसबंधेहिं सव्वदो मुक्को उटुं गच्छदि सेसा विदिसावज्जं गर्दि जंति।
____ अर्थ- प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेश बंध से सर्वथा/पूर्णरूप से मुक्त (जीव) ऊर्ध्व/सिद्ध (गति) को गमन करता है। (मुक्त जीवों को छोड़कर) शेष (जीव) विदिशाओं के सिवाय/बिना (अन्य छह दिशाओं में) गति करते हैं।
1.
'बिना' के योग में द्वितीया, तृतीया तथा पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है।
पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार
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