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72.
छक्कापक्कमजुत्तो [(छक्क-अपक्कम) वि(जुत्त) भूकृ 1 / 1 अनि
छक्कापक्कमजुत्तो उवउत्तो सत्तभंगसब्भावो । अट्ठासओ णवट्ठो जीवो दसठाणगो भणिदो ||
उत्तो सत्तभंगस भावो
अट्ठासओ
वो
जीवो
सठाणग
भणिदो
(82)
( उवउत्त) भूक 1 / 1 अनि (सत्त-भंग-सब्भाव)
1/1 fa
(अट्ठ - आसअ ) 1 / 1 वि
(णव-अट्ठ) 1/1 वि
(जीव) 1 / 1
(दस - ठाणग) 1 / 1 वि
( भण) भूक 1 / 1
क्रमरहित (वक्र) छह
प्रकार की दिशाओं से
युक्त
तर्कोचित
सात प्रकार के कथन
स्वभाववाला
आठ कर्म/गुणा
आधार
प्रकार से कर्म
विवेचनवाला
जीव
दस भेवाला
कहा गया
अन्वय- जीवो छक्कापक्कमजुत्तो उवउत्तो सत्तभंगसब्भावो अट्ठासओ वट्ठो दसठाणगो भणिदो ।
अर्थ- जीव क्रमरहित छह प्रकार की दिशाओं (पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ऊपर व नीचे) से युक्त, तर्कोचित सात प्रकार (अस्ति, नास्ति, अस्तिनास्ति, अवक्तव्य, अस्ति- अवक्तव्य, नास्ति - अवक्तव्य और अस्ति - नास्तिअवक्तव्य) के कथन स्वभाववाला, आठ कर्म (ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय, मोहनीय, आयु, नाम, गोत्र तथा अन्तराय) या आठ गुण (अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत सुख, अनंत वीर्य, सूक्ष्मत्व गुण, अवगाहनत्व, अगुरुलघुत्व तथा अव्याबाधत्व) का आधार, नौ प्रकार (जीव, अजीव, आस्रव, बंध, संवर, निर्जरा, मोक्ष, पुण्य और पाप) से कर्म विवेचनवाला, दस (पृथ्वीकाय, जलकाय, अग्निकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय, दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, संज्ञी पंचेन्द्रिय व असंज्ञी पंचेन्द्रिय) भेदवाला कहा गया है।
पंचास्तिकाय ( खण्ड - 1 ) द्रव्य - अधिकार