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64. ओगाढगाढणिचिदो पोग्गलकायेहिं सव्वदो लोगो।
सुहमेहिं बादरेहिं य यंताणंतेहिं विविधेहिं।।
लोक
ओगाढगाढणिचिदो [(ओगाढ) वि-(गाढ) (अ)- गहरा, अत्यधिक
(णिचिद) भूकृ 1/1 अनि] भरा हुआ पोग्गलकायेहिं [(पोग्गल)-(काय) 3/2]
पुद्गल-समूहों से सव्वदो अव्यय
सब ओर से लोगो (लोग) 1/1 सुहुमेहि (सुहुम) 3/2 वि सूक्ष्म बादरेहिं (बादर) 3/2 वि स्थूल अव्यय
और णताणतेहिं (णंताणत) 3/2 वि विविधेहिं (विविध) 3/2 वि अनेक प्रकारों सहित
अनन्तानन्त
अन्वय- लोगो सव्वदो पोग्गलकायेहिं ओगाढगाढणिचिदो सुहमेहिं बादरेहिं णंताणंतेहिं य विविधेहिं।
अर्थ- (यह समस्त) लोक सब ओर से पुद्गल-समूहों से अत्यधिक गहरा भरा हुआ (है) (जो) सूक्ष्म, स्थूल, अनन्तानन्त और अनेक प्रकारों सहित (होते हैं)।
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पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार