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63. कम्मं कम्मं कुव्वदि जदि सो अप्पा करेदि अप्पाणं।
किध तस्स फलं भुंजदि अप्पा कम्मं च देदि फलं।।
कम्म कम्म
कुव्वदि
जदि
अप्पा
करेदि
(द्रव्य) कर्म (द्रव्य) कर्म को करता है यदि वह आत्मा करता है स्वरूप को कैसे उसका फल भोगता है आत्मा (द्रव्य) कर्म
अप्पाणं
(कम्म) 1/1 (कम्म) 2/1 (कुव्व) व 3/1 सक
अव्यय (त) 1/1 सवि (अप्प) 1/1 (कर) व 3/1 सक (अप्पाण) 2/1
अव्यय (त) 6/1 सवि (फल) 2/1 (भुंज) व 3/1 सक (अप्प) 1/1 (कम्म) 1/1
अव्यय (दे) व 3/1 सक (फल) 2/1
किध
तस्स
फलं भुंजदि अप्पा
.
परन्तु
. .
देता है फल
अन्वय- जदि कम्मं कम्मं कुव्वदि सो अप्पा अप्पाणं करेदि च कम्मं फलं देदि अप्पा तस्स फलं किध भुंजदि। . अर्थ- यदि (द्रव्य) कर्म (अपने) (द्रव्य) कर्म को करता है (और) (यदि) वह आत्मा (अपने) स्वरूप को करता है, परन्तु (जब) (द्रव्य) कर्म फल देता है (तो) आत्मा उस (द्रव्यकर्म) का फल कैसे भोगेगा? 1. प्रश्नवाचक शब्दों के साथ वर्तमानकाल का प्रयोग प्रायः भविष्यत्काल के अर्थ में होता
पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार
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