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51. वण्णरसगंधफासा परमाणुपरूविदा विसेसेहि।
दव्वादो य अणण्णा अण्णत्तपगासगा होति।।
वण्णरसगंधफासा
वर्ण, रस, गंध
और स्पर्श परमाणु कहे गये
परमाणुपरूविदा
[(वण्ण)-(रस)-(गंध)(फास) 1/2] [(परमाणु)-(परूव) भूकृ 1/2] (विसेस) 3/2 (दव्व) 5/1
विशेषों से युक्त
विसेसेहि दव्वादो
द्रव्य से
अव्यय
और
अणण्णा
अण्णत्तपगासगा
(अणण्ण) 1/2 वि [(अण्णत्त)-(पगासग) 1/2 वि] (हो) व 3/2 अक
अभिन्न पृथकताओं को प्रकाशित करनेवाले
होति
होते हैं
___ अन्वय- वण्णरसगंधफासा विसेसेहि परमाणुपरूविदा य दव्वादो अणण्णा अण्णत्तपगासगा होति।
अर्थ- वर्ण, रस, गंध और स्पर्श- (इन) विशेषों से युक्त परमाणु कहे गये (हैं) और (ये चारों गुण) द्रव्य (पुद्गल) से अभिन्न (पृथक नहीं) है। (किन्तु) (पूर्व कथित) पृथकताओं को प्रकाशित करने वाले (भी) होते हैं।
पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार
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