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30. पाणेहिं चदुहिं जीवदि जीविस्सदि जो हु जीविदो पुव्वं ।
सो जीवो पाणा पुण बलमिंदियमाउ उस्सासो।।
पाणेहिं
प्राणों से
चदुहिं
चार
जीवदि जीविस्सदि
जीता है जीवेगा
जीविदो
निश्चय ही जीया विगत काल में
पुवं
(पाण) 3/2 (चदु) 3/2 वि (जीव) व 3/1 अक (जीव) भवि 3/1 अक (ज) 1/1 सवि अव्यय (जीव) भूकृ 1/1 अव्यय (त) 1/1 सवि (जीव) 1/1 (पाण) 1/2 अव्यय [(बलं)+ (इंदियं)+(आउ)] बलं (बल) 1/1 इंदियं (इंदिय) 1/1 *आउ (आउ) 1/1 (मूल शब्द) (उस्सास) 1/1
वह जीव
जीवो पाणा
प्राण
पुण
बलमिंदियमाउ
बल
इन्द्रिय
आयु
उस्सासो
श्वासोच्छवास
अन्वय- जो हु चदुहिं पाणेहिं जीवदि जीविस्सदि पुव्वं जीविदो सो जीवो पुण पाणा बलमिंदियमाउ उस्सासो।
___ अर्थ- जो निश्चय ही चार प्राणों से जीता है, जीवेगा, विगतकाल में जीया (है) वह जीव (द्रव्य है) और (वे) प्राण- बल, इन्द्रिय, आयु (और) श्वासोच्छवास (हैं)।
प्राकृत में किसी भी कारक के लिए मूल संज्ञा शब्द काम में लाया जा सकता है। (पिशलः प्राकृत भाषाओंका व्याकरण, पृष्ठ 517)
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पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार