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________________ 25. समओ णिमिसो कट्ठा कला य णाली तदो दिवारत्ती। मासोदुअयणसंवच्छरो त्ति कालो परायत्तो।। समओ णिमिसो का समय निमिष काष्ठा कला णाली तदो दिवारत्ती मासोदुअयणसंवच्छरो त्ति (समअ) 1/1 (णिमिस) 1/1 (कठ्ठा) 1/1 (कला) 1/1 अव्यय (णाली) 1/1 अव्यय (दिवा) अ-(रत्ति)1/1] [(मास)+ (उदुअयण)(संवच्छरो)+ (इति)] [(मास)-(उदु)-(अयण)- (संवच्छर) 1/1] इति (अ) = इस प्रकार (काल) 1/1 (परायन) 1/1 वि कला और नाली उससे दिनरात्रि मास, ऋतु, अयन, वर्ष इस प्रकार कालो परायत्तो काल पराधीन अन्वय- समओ णिमिसो कट्ठा कला य णाली तदो दिवारत्ती मासोदुअयणसंवच्छरो त्ति परायत्तो कालो। अर्थ- समय, निमिष, काष्ठा, कला और नाली उससे दिनरात्रि, मास, ऋतु, अयन, वर्ष (होते हैं)। इस प्रकार पराधीन काल (वर्णित) है। नोटः टीका से व्याख्या देखें। पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार (35)
SR No.002306
Book TitlePanchastikay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2014
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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