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________________ 24. ववगदपणवण्णरसो [ ( ववगद ) भूक अनि ववगददोगंध अफसो य ववगदपणवण्णरसो ववगददोगंध अट्ठफासो य । अगुरुलहुगो अमुत्तो वट्टणलक्खो य कालो त्ति ।। अगुरुलहुगो अमुत्तो वट्टणलक्खो य कालो 1. (34) पाँच वर्ण और ( पण ) वि - ( वण्ण ) - (रस) 1 / 1 ] पाँच रस रहित [(ववगद) भूक अनि गंध और (दो) वि- (गंध) - आठ स्पर्श रहित (313) fa-(14) 1/1] अव्यय (अगुरुलहुग) 1/1 वि ( अमुत्त) 1 / 1 वि [ ( वट्टणा → वट्टण ) - (लक्ख) 1/1 fa] अव्यय [(कालो) + (इति)] कालो (काल) 1/1 इति (अ) = इस प्रकार और अगुरुलघुगुण संयुक्त अमूर्त वर्तना लक्षणवाला अन्वय- ववगदपणवण्णरसो ववगददोगंध अट्ठफासो अगुरुलहुगो अमुत्तोय वट्टणलक्खो य कालो त्ति । अर्थ - (जो ) पाँच वर्ण और पाँच रस रहित, दो गंध और आठ स्पर्श रहित, अगुरुलघुगुण संयुक्त, अमूर्त और वर्तना लक्षणवाला (है) (वह) (स्वाधीन) काल ( है ) । इस प्रकार ( जानो ) । प्राकृत व्याकरण, पृष्ठ-21 पादपूरक काल इस प्रकार पंचास्तिकाय (खण्ड-1 ) द्रव्य - अ -अधिकार
SR No.002306
Book TitlePanchastikay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2014
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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