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________________ 18. सो चेव जादि मरणं जादि ण णो ण चेव उप्पण्णो। उप्पण्णो य विणट्ठो देवो मणुसो त्ति पज्जाओ।। वह उत्पन्न होता है मरण को प्राप्त करता है न नष्ट हुआ न उप्पण्णो (त) 1/1 सवि अव्यय (जा) व 3/1 अक (मरण) 2/1 (जा) व 3/1 सक अव्यय (णट्ठ) भूकृ 1/1 अनि अव्यय अव्यय (उप्पण्ण) भूक 1/1 अनि (उप्पण्ण) भूक 1/1 अनि अव्यय (विणट्ठ) भूकृ 1/1 अनि (देव) 1/1 [(मणुसो)+ (इति)] मणुसो (मणुस) 1/1 इति (अ) = अतः (पज्जाअ) 1/1 उप्पण्णो उत्पन्न हुआ उत्पन्न हुआ और नष्ट हुई य विणट्ठो देवो मणुसो त्ति देव मनुष्य अतः पज्जाओ पर्याय अन्वय- सो चेव जादि मरणं जादि ण उप्पण्णो य ण चेव भट्ठो देवो पज्जाओ उप्पण्णो च मणुसो त्ति विणट्ठो। अर्थ- वह ही (जीव) उत्पन्न होता है (जो) मरण को प्राप्त करता है। (किन्तु) (वह जीव) न उत्पन्न हुआ (है) और न ही नष्ट हुआ (है)। अतः देव पर्याय ही उत्पन्न हुई (है) और मनुष्य (पर्याय) नष्ट हुई (है)। (28) पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार
SR No.002306
Book TitlePanchastikay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2014
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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