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________________ 15. भावस्स णत्थि णासो णत्थि भावस्स णत्थि णासो णत्थि अभावस्स चेव उप्पादो । गुणपज्ज उप्पादवए पकुव्वंति।। अभावस्स चेव उप्पादो गुणपज्ज भावा उप्पादवए पकुव्वंति भावा (भाव) 6 / 1 अव्यय ( णास) 1 / 1 अव्यय (अभाव) 6/1 अव्यय ( उप्पाद) 1 / 1 [ ( गुण) - (पज्जय) 7 /2] (भाव) 1 / 2 [ ( उप्पाद) - ( अ ) 2/2] ( पकुव्व) व 3 / 2 सक गुणपज्जयेसु एव उप्पादवए पकुव्वंति । सत् पदार्थ का नहीं है नाश नहीं है असत् पदार्थ का ही है। पदार्थ गुण-पर्यायों में ही उत्पाद - व्यय करते हैं। पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार उत्पाद गुण-पर्यायों में पदार्थ अन्वय- भावस्स णासो णत्थि च अभावस्स उप्पादो णत्थि भावा उत्पाद-व्यय करते हैं अर्थ- सत् पदार्थ का नाश नहीं है और असत् पदार्थ का उत्पाद नहीं (25)
SR No.002306
Book TitlePanchastikay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2014
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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