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सत्ता सव्वपयत्था सविस्सरूवा अणंतपज्जाया। भंगुप्पादधुवत्ता सप्पडिवक्खा हवदि एक्का।।
सत्ता
सव्वपयत्था सविस्सरूवा
(सत्ता) 1/1 (सव्वपयत्थ) 2/2-7/2 (सविस्सरूव) 2/2-7/2
सत्ता सब पदार्थों में नाना स्वरूपों में विद्यमान अनन्त पर्यायों में
अणंतपज्जाया
भंगुप्पादधुवत्ता
[(अणंत)-(पज्जाय) 2/2+7/2] [(भंग)-(उप्पाद)(धुवत्ता) 2/2+7/2] (सप्पडिवक्खा) 1/1 वि (हव) व 3/1 अक (एक्का) 1/1 वि
सप्पडिवक्खा हवदि एक्का
उत्पत्ति, व्यय और ध्रौव्यताओं में प्रतिपक्ष-सहित होती है सामान्य
अन्वय- एक्का सत्ता सव्वपयत्था सविस्सरूवा अणंतपज्जाया भंगुप्पादधुवत्ता सप्पडिवक्खा हवदि।
अर्थ- सामान्य सत्ता सब पदार्थों में (स्थित है), (उनके) नाना स्वरूपों में विद्यमान (है), (उनकी) अनन्त पर्यायों में (है) (उन पर्यायों) की उत्पत्ति, और व्यय में तथा (उन) ध्रौव्यताओं (ध्रुव पदार्थों) में (है)। (वह) सत्ता प्रतिपक्षसहित होती है। अर्थात् विशेष सत्ता विशिष्ट पदार्थों में स्थित है, (उसके) नाना स्वरूपों में विद्यमान (है), (उसकी) पर्यायों में (है), उस एक पर्याय की उत्पत्ति उसके व्यय में तथा (उस) ध्रुव पदार्थ में हैं।
नोटः
संपादक द्वारा अनूदित
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पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार