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2.
समणमुदम
चदुग्गदिणिवारणं
समणमुहुग्गदमट्टं चदुग्गदिणिवारणं सणिव्वाणं । एसो पणमिय सिरसा समयमियं सुणह वोच्छामि । ।
सणिव्वाणं
एसो
पणमिय
सिरसा
समयमियं
सुणह वोच्छामि
(12)
[(समणमुह) + (उग्गदं) + (अहं) ]
[(समण) - (मुह) -
( उग्गद) 2 / 1 वि
अट्ठ (अट्ठ) 2/1 [(चदुग्गदि)-(णिवारण) 2/1 fa]
(स- णिव्वाण) 2/1 वि
(ए) 1 / 1 सवि
(पणम) संकृ
(सिरसा) 3/1 अनि
[(समय) + (इयं ) ]
समयं (समय) 2/1
इयं (इम) 2/1 सवि
(सुण) विधि 2/2 सक (वोच्छ ) भवि 1 / 1 सक
श्रमण के निकला हुआ
मुख से
सार तत्त्व
चारों गतियों को
हटानेवाला
निर्वाण-सहित
यह
प्रणाम करके
सिर से
सिद्वान्तको
इस
सुनो
कहूँगा
अन्वय- एसो इयं समयं समणमुहुग्गदमङ्कं चदुग्गदिणिवारणं सणिव्वाणं सिरसा पणमिय वोच्छामि सुणह ।
के
अर्थ- यह (मैं) (कुन्दकुन्दाचार्य) इस सिद्वान्त को (जो ) श्रमण ( महावीर ) मुख से निकला हुआ सार तत्त्व ( है ), ( फलस्वरूप ) चारों गतियों को हटानेवाला (है) (तथा) (जो ) निर्वाण - सहित ( प्रदाता) ( है ) (उसको) सिर से प्रणाम करके कहूँगा। (तुम सब ) सुनो।
पंचास्तिकाय (खण्ड-1 ) द्रव्य - अधिकार