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137. रायादीपरिहारे अप्पाणं जो दु जुंजदे साहू।
सो जोगभत्तिजुत्तो इदरस्स य किह हवे जोगो ॥
जुंजदे
साहू
रायादीपरिहारे [(राय)+(आदीपरिहारे)]
[(राय)-(आदी-आदि)- राग आदि के
(परिहार) 7/1] परिहार में अप्पाणं (अप्पाण) 2/1
निज को (ज) 1/1 सवि अव्यय
पादपूरक (जुंज) व 3/1 सक. लगाता है (साहु) 1/1
साधु (त) 1/1 सवि
वह जोगभत्तिजुत्तो [(जोग)-(भत्ति)- योगभक्ति से युक्त
(जुत्त) भूकृ 1/1 अनि इदरस्स (इदर) 6/1 वि
अन्य के अव्यय
पादपूरक अव्यय
(हव) व 3/1 अक जोगो (जोग) 1/1
योग अन्वय- जो साहू दु रायादीपरिहारे अप्पाणं जुंजदे सो जोगभत्तिजुत्तो इदरस्स य जोगो किह हवे।
___ अर्थ- जो साधु रागादि के परिहार में निज को लगाता है वह योगभक्ति से युक्त (है)। अन्य के अर्थात् जो साधु निज को नहीं लगाता है (उसके) योग (भक्ति) कैसे होगी? 1. प्रश्नवाचक शब्दों के साथ वर्तमानकाल का प्रयोग प्रायः भविष्यत्काल के अर्थ में होता
किह
कैसे
हवे
होगी
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नियमसार (खण्ड-2)