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126. जो समो सव्वभूदेसु थावरेसु तसेसु वा।
तस्स सामाइगं ठाइ इदि केवलिसासणे॥
जो
सव्वभूदेसु थावरेसु
(ज) 1/1 सवि (सम) 1/1 वि [(सव्व) सवि-(भूद) 7/2] (थावर) 7/2 (तस) 7/2
समभाव रखनेवाला सब जीवों पर स्थावर
तसेसु
त्रस
वा
अव्यय
तथा
तस्स
उसके
सामाइगं
(त) 6/1 सवि (सामाइग) 1/1 (ठा) व 3/1 अक
सामायिक स्थिर होती है
ठाइ
अव्यय
इदि केवलिसासणे
इस प्रकार केवली के शासन में
(केवलिसासण) 7/1
अन्वय- जो थावरेसु वा तसेसु सव्वभूदेसु समो तस्स सामाइगं ठाइ इदि केवलिसासणे।
अर्थ- जो (साधु) स्थावर तथा त्रस सब जीवों पर समभाव रखनेवाला है उसके सामायिक (राग-द्वेषरहित अवस्था) स्थिर होती है। इस प्रकार केवली के शासन में (कहा गया है)।
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नियमसार (खण्ड-2)