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________________ 124. किं काहदि वणवासो कायकिलेसो विचित्तउववासो। अज्झयणमोणपहुदी समदारहियस्स समणस्स। करेंगे वनवास (किं) 1/1 सवि क्या काहदि (का) भवि 3/1 सक वणवासो (वणवास) 1/1 कायकिलेसो [(काय)-(किलेस) 1/1] काय-क्लेश विचित्तउववासो [(विचित्त) वि-(उववास) । अनेक प्रकार के उपवास अज्झयणमोणपहुदी [अज्झयण)-(मोण)- अध्ययन, मौन आदि (पहुदि) 1/2 वि] समदारहियस्स [(समदा)-(रहिय) 4/1 वि] समता-रहित (समण) 4/1 श्रमण के लिए 1/1] समणस्स अन्वय- समदारहियस्स समणस्स वणवासो कायकिलेसो विचित्तउववासो अज्झायणमोणपहुदी किं काहदि। अर्थ- समता-रहित (ध्यान-रहित) श्रमण के लिए वनवास, कायक्लेश, अनेक प्रकार के उपवास, अध्ययन, मौन आदि क्या (लाभ) करेंगे? 1. यहाँ ‘काहदि' के स्थान पर काहिदि' होना चाहिए। (64) नियमसार (खण्ड-2)
SR No.002305
Book TitleNiyamsara Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2015
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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