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105. णिक्कसायस्स दंतस्स सूरस्स ववसायिणो।
संसारभयभीदस्स पच्चक्खाणं सुहं हवे॥
णिक्कसायस्स
कषायरहित का
दंतस्स
संयमी का .
सूरस्स
परीषहजयी का
जागरूक का
ववसायिणो संसारभयभीदस्स
(णिक्कसाय) 6/1 वि (दंत) 6/1 वि (सूर) 6/1 वि (ववसायि) 6/1 वि [(संसार)-(भय)-(भीद) । भूक 6/1 अनि (पच्चक्खाण) 1/1 (सुहं) 2/1
संसार के भय से
अत्यन्त डरे हुए का
पच्चक्खाणं
प्रत्याख्यान
सुखपूर्वक
द्वितीयार्थक अव्यय
(हव) व 3/1 अक
होता है
अन्वय- णिक्कसायस्स दंतस्स सूरस्स ववसायिणो संसारभयभीदस्स पच्चक्खाणं सुहं हवे।
- अर्थ- कषायरहित (साधक) का, संयमी (साधक) का, परीषहजयी (साधक) का, जागरूक (साधक) का, संसार के भय से अत्यन्त डरे हुए (साधक) का प्रत्याख्यान सुखपूर्वक होता है।
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नियमसार (खण्ड-2)