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101. एगो य मरदि जीवो एगो य जीवदि सयं।
एगस्स जादि मरणं एगो सिज्झदि णीरओ। 102. एगो मे सासदो अप्पा णाणदसणलक्खणो।
सेसा मे बाहिरा भावा सव्वे संजोगलक्खणा॥
(एग) 1/1 वि
एक
अव्यय
और मरता है
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(मर) व 3/1 अक (जीव) 1/1 (एग) 1/1 वि
अव्यय
और
प्राण धारण करता है
स्वयं
एगस्स
एक का होता है
मरण
जादि मरणं एगो सिज्झदि णीरओ एगो मे
(जीव) व 3/1 अक अव्यय (एग) 6/1 वि (जा) व 3/1 अक (मरण) 1/1 (एग) 1/1 वि (सिज्झ) व 3/1 अक (णीरअ) भूकृ 1/1 अनि (एग) 1/1 वि (अम्ह) 6/1 स
वही सिद्ध हो जाता है कर्मरहित हुआ अकेला
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नियमसार (खण्ड-2)